Wednesday, December 15, 2010

Ek Saal...


मैं कभी बतलाता नहीं
पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ 
यूँ तो मैं,दिखलाता नहीं
तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब है पता, हैं ना माँ
तुझे सब है पता, मेरी माँ

भीड़ में यूँ ना छोड़ो मुझे 
घर लौट के भी आ ना पाऊँ माँ
भेज ना इतना दूर मुझको तू
याद भी तुझको आ ना पाऊँ माँ
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ 
क्या इतना बुरा मेरी माँ 

मैं कभी बतलाता नहीं
पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ 
यूँ तो मैं,दिखलाता नहीं
तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब था पता, हैं ना माँ 
तुझे सब था पता, मेरी माँ  
 
... तुझको गए हुए
 

2 comments:

Namrata said...

You are the best...

Kenneth P Lewis said...

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